Article

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के लाइसेंस विभाग को लगायी फटकार, पूछा- पतंजलि पर क़ानून के अनुसार कार्रवाई क्यों नहीं की?

 30 Apr 2024

भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के लाइसेंस विभाग को फटकार लगाते हुए अपनी गंभीर चिंता ज़ाहिर की। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे विभाग ने कोर्ट की सख़्ती के बाद ही लाइसेंस के नियमों को लेकर कार्रवाई करनी शुरू की है। इससे पहले लाइसेंस विभाग सोया हुआ था। कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण के वकील मुकुल रोहतगी से अख़बार में छपे माफ़ीनामे के हिस्सों को कोर्ट में जमा करवाने के लिए कहा है।मामले की सुनवाई अब 14 मई को तय की गयी है।



कोर्ट ने उत्तराखंड के लाइसेंस विभाग पर नाराज़गी जतायी


सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उत्तराखंड के लाइसेंस विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए अपनी गहरी नाराज़गी ज़ाहिर की। दरअसल, कोर्ट ने उत्तराखंड के लाइसेंस विभाग से भ्रामक विज्ञापन को लेकर की जाने वाली कार्रवाइयों के बारे में पूछा था, जिसपर विभाग ने अपना ज़वाब कोर्ट के समक्ष पेश किया। लेकिन कोर्ट लाइसेंस विभाग के ज़वाब से असंतुष्ट दिखा। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कोर्ट के सख़्त रुख के चलते ही लाइसेंस विभाग 10 अप्रैल के बाद क़ानूनी प्रक्रिया को लेकर नींद से जागा है। इससे पहले विभाग ने अपनी आँखे जानबूझकर बंद कर के रखी हुई थी।

कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि विभाग कोर्ट से सहानुभूति चाहता है, तो विभाग को कोर्ट के प्रति ईमानदार रहना होगा। कोर्ट ने पूछा कि विभाग ने क़ानून के अनुसार अपनी कार्रवाई की या नहीं?

इसके अलावा कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण के वकील से अख़बार में छपे माफ़ीनामें के हिस्सों को दो दिनों के भीतर कोर्ट में जमा करने को कहा है। कोर्ट ने अगली पेशी में रामदेव और बालकृष्ण को उपस्थित  न रहने की छूट दी है। बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के सख़्त रुख और फटकार के बाद 67 समाचारों पत्रों में अपना माफ़ीनामा प्रकाशित कराया था। मामले की सुनवाई अब 14 मई को तय की गयी है।


कोर्ट की फटकार के बाद रामदेव ने मांगी थी माफ़ी

सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल की सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और पतंजलि के निदेशक बालकृष्ण से सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने को लेकर सवाल-ज़वाब किया था। सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और बालकृष्ण कोर्ट में मौज़ूद थे जहाँ उन्होंने बिना शर्त भ्रामक विज्ञापन के मामले में कोर्ट से माफ़ी भी मांगी थी।



इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 2022 में दायर की थी याचिका

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने बाबा रामदेव और बालकृष्ण पर एलोपैथी और कोरोना के टीकाकरण को लेकर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद ही कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा है।